कैसे बनी आबकारी नीति, सीबीआई ने क्या किया दावा?
सीबीआई ने केजरीवाल की गिरफ्तारी का आधार आबकारी शराब नीति घोटाले को बताया है, कहा गया है कि 16 मार्च 2021 को एक शराब कारोबारी से संपर्क किया गया कि केजरीवाल शराब नीति को लेकर मिलना चाहते हैं. 20 मार्च को के कविता और मंगुटा रेड्डी से मुलाकात हुई. विजय नायर ने मीटिंग को कोर्डिनेट किया. लॉकडाउन में एक टीम साउथ से दिल्ली आई. साउथ ग्रुप ने बताया कि दिल्ली की शराब नीति कैसी होनी चाहिए.
सीबीआई के मुताबिक अभिषेक बोइनपल्ली के कहने पर एक रिपोर्ट भेजी गई, सिसोदिया के सचिव ने इसे आगे बढ़ाया. एलजी ऑफिस से इस पर सवाल उठाया गया, लेकिन उन पर चर्चा नहीं हुई. सीबीआई के मुताबिक कोवडि के बावजूद जल्दबाजी में ये काम किया गया. एडवांस के तौर पर उसी समय साउथ ग्रुप की तरफ से 100 करोड़ दिए गए. ताकि प्रॉफिट बढ़ाकर 6 से 12 कर दी जाए. सारा लेन देन नगद में हुआ. 44 करोड़ के बारे में सीबीआई को पता लगा कि ये पैसा गोवा पहुंचा. CBI का ये भी दावा है कि पॉलिसी के लिए जो सार्वजनिक सुझाव मांगे गए उनसे छेड़छाड़ की गई. जब कुछ अधिकारी इस पर हस्ताक्षर करने के लिए तैयार नहीं हुए तो उन्हें बदल दिया गया.
केजरीवाल ने वापस ली याचिका
दिल्ली सीएम अरविंद केजरीवाल ने नियमित जमानत पर हाईकोर्ट की रोक के बाद सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी. सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट का आदेश आने तक जमानत पर रोक को बरकरार रखा था. हाईकोर्ट के आदेश के बाद अब इस पर सुनवाई होनी थी, लेकिन उससे पहले ही केजरीवाल को सीबीआई ने गिरफ्तार कर लिया. अब केजरीवाल की ओर से सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई जमानत याचिका को वापस ले लिया गया है. न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा और न्यायमूर्ति एसवीएन भट्टी की वेकेशन पीठ ने इसकी अनुमति दी. केजरीवाल के वकील वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि उन्हें ठोस अपील दायर करने के लिए वक्त चाहिए, इसीलिए वह याचिका वापस ले रहे हैं.